पूर्ण विराम
27-07-2016
22:37
साँसे क्लांत जब चुकने को हों,
स्पंदन थक हार जब थमने को हों,
जीवन पर तब पूर्ण विराम लगा
छेड़ देना मुक्ति राग की तान।
क्षितिज पार है देखो-आतुर,
प्रस्फुटित होने को नव विहान।
27-07-2016
22:37
साँसे क्लांत जब चुकने को हों,
स्पंदन थक हार जब थमने को हों,
जीवन पर तब पूर्ण विराम लगा
छेड़ देना मुक्ति राग की तान।
क्षितिज पार है देखो-आतुर,
प्रस्फुटित होने को नव विहान।
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