Sunday, 6 August 2017

एक मौन संवाद 

30-01-2017
16:23

घर नहीं था वो सिर्फ।
हाड़ माँस का था 
जीता जागता इंसान,
जिससे होती थी बातें
इकतरफा ही सही,
पर वह था मूक श्रोता
और वह एकाकी वक्ता।
वह बोला करती 
और घर सुना करता।
न कहीं प्रतिवाद
न कहीं विवाद
बस इक मौन संवाद।

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