एक मौन संवाद
30-01-2017
16:23
घर नहीं था वो सिर्फ।
हाड़ माँस का था
जीता जागता इंसान,
जिससे होती थी बातें
इकतरफा ही सही,
पर वह था मूक श्रोता
और वह एकाकी वक्ता।
वह बोला करती
और घर सुना करता।
न कहीं प्रतिवाद
न कहीं विवाद
बस इक मौन संवाद।
30-01-2017
16:23
घर नहीं था वो सिर्फ।
हाड़ माँस का था
जीता जागता इंसान,
जिससे होती थी बातें
इकतरफा ही सही,
पर वह था मूक श्रोता
और वह एकाकी वक्ता।
वह बोला करती
और घर सुना करता।
न कहीं प्रतिवाद
न कहीं विवाद
बस इक मौन संवाद।
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