Sunday, 6 August 2017

होलिका 

10-03-2017
16:45

कहीं चौराहे पर फिर होलिका जलाने की पुरज़ोर तैयारी हो रही होगी। बच्चों की टोली घर घर जा कर दरवाजे की साँकल पीट पीट कर माँग रहे होंगे - " ए भगवनिया, तोरे सोने के किवड़िया, तोरे चानि के झरोखवा, दूगो लकड़ी द, लकड़ी नइखे त दूगो गोइंठा द।" 
और जब तक उनकी माँगें नहीं पूरी होती, तब तक गाने का सूर क्रमशः तीव्र होता जाता। वो भी क्या दिन थे, 'प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग' से बेखबर...

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