Sunday 6 August 2017

संवाद 

12-02-2017
11:34

"फ्लाईट में तो ट्रेन से भी ज्यादा झमेला करता है। हमारा एक एक सामान खोल खोल के देखा।
हम भी बोल दिए कि कुछ भी कर लो पर हमारा दवाई इधर से उधर नहीं होना चाहिए। बताओ भला पहिले से चेकइन कईला से का फायदा हुआ, सिकरटी वाला ने टिकिट पर मुहरे नहीं मारा। फिर जा के मुहर लगवा के अपिने लाया। पैसवो लगावो अउरो एतना दिक्कत झेलो, हुँह।"

- बंगलौर-पटना फ्लाईट में उपरोक्त संवाद सुनने में बड़ा ही कर्णप्रिय लगा। कथन की सत्यता को पूर्णतया नकारा भी नहीं जा सकता।

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