Saturday 17 March 2012

CHAMELEON

गिरगिट के रंग

 बचपन में देखा करती थी गिरगिट
तब तो बैठा पाती उसे झुरमुटों बीच
गाल फुला पिचका दूर से ही निभाता प्रीत
रंग बदल बदल देखता हमें अपनी आँखें भींच
मानों झुरमुटों का वो बेताज बादशाह
औ' झुरमुट उसका खुशनुमा सैरगाह.

 पर-
आज देखा फिर से एक गिरगिट
जाने कहाँ से आ गिरी पत्तों के बीच
क्या गमले के ही हरियाली पे गयी मर मिट?
या निर्जन सा ये एकाकी कोना उसे लाई खींच?
यहाँ तो उसके रंग भी हो गए हैं फीके,बेरंग
जो लोगों ने अपना लिए हैं उसके बदलते रंग .

Saturday 3 March 2012

4 March- Happy Birthday, My Son

इक स्थिर, शांत सी रात में
मसीहे ने आ मुझ से पूछा-
बता- तुझे चाहिए क्या?

बंद आँखों से मन की गहराई में झाँका -
तो, वहाँ झिलमिलाती तारों भरी रात,
स्वर्णिम अरुणोदय का प्रखर होता तेज,
हँसता बलखाता गुनगुनाता झरना,
फूलों की निश्छल, स्निग्ध  मुस्कराहट,
तितलियों के मनमोहक सतरंगे पर,
बादलों की नित बदलती आकृतियाँ औ'
असीमित नीले नभ में स्वछंद उड़ान,
...........बावली सी चाह बैठी मैं -
प्रकृति के अनगिनत रहस्मय रंगों को...

मसीहे ने मुस्कुरा कर कहा-
अरी बावली- न हो तू विकल,
ले, तेरी गोद में डालता हूँ दो लाल,
जिसे पा तू हो जाएगी निहाल....

जन्म दिन की असीम शुभकामनायें ......!