Sunday 1 September 2013

Bhari Nayan

नयनों में भर-भर
तुम्हे देखा।
नयन हुए
मत से मतवाले।
तुम्हे भर-भर
हुए भारी।
फिर भी डर से
न मूंदु मैं नयन।
कहीं न हो जाओ
तुम ओझल।
खुले नयन
तुम्हे रहे निहार।
फिर भी तो
हो गए ओझल।
नयन और
तुम्हारे बीच
आ जो बसा
पूरा संसार।


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