Saturday, 1 March 2014

मन में कभी कभी चाहतों ने अपने पैर पसारने की शुरुआत करनी चाही  तो उसने उन्हें कालीन की तरह लपेट कर कक्ष के एक कोने में खड़ा कर दिया।  फुर्सत मिली तो उसे धुप में फैला कर डंडे से पीट पीट सारी चाहतों के कण कण को हवा में बिखेर दिया। पर नामुराद कालीन में से उसकी बासी महक आती रही.… 

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