मन में कभी कभी चाहतों ने अपने पैर पसारने की शुरुआत करनी चाही तो उसने उन्हें कालीन की तरह लपेट कर कक्ष के एक कोने में खड़ा कर दिया। फुर्सत मिली तो उसे धुप में फैला कर डंडे से पीट पीट सारी चाहतों के कण कण को हवा में बिखेर दिया। पर नामुराद कालीन में से उसकी बासी महक आती रही.…
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