Saturday, 17 March 2012

CHAMELEON

गिरगिट के रंग

 बचपन में देखा करती थी गिरगिट
तब तो बैठा पाती उसे झुरमुटों बीच
गाल फुला पिचका दूर से ही निभाता प्रीत
रंग बदल बदल देखता हमें अपनी आँखें भींच
मानों झुरमुटों का वो बेताज बादशाह
औ' झुरमुट उसका खुशनुमा सैरगाह.

 पर-
आज देखा फिर से एक गिरगिट
जाने कहाँ से आ गिरी पत्तों के बीच
क्या गमले के ही हरियाली पे गयी मर मिट?
या निर्जन सा ये एकाकी कोना उसे लाई खींच?
यहाँ तो उसके रंग भी हो गए हैं फीके,बेरंग
जो लोगों ने अपना लिए हैं उसके बदलते रंग .

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