Saturday, 3 March 2012

4 March- Happy Birthday, My Son

इक स्थिर, शांत सी रात में
मसीहे ने आ मुझ से पूछा-
बता- तुझे चाहिए क्या?

बंद आँखों से मन की गहराई में झाँका -
तो, वहाँ झिलमिलाती तारों भरी रात,
स्वर्णिम अरुणोदय का प्रखर होता तेज,
हँसता बलखाता गुनगुनाता झरना,
फूलों की निश्छल, स्निग्ध  मुस्कराहट,
तितलियों के मनमोहक सतरंगे पर,
बादलों की नित बदलती आकृतियाँ औ'
असीमित नीले नभ में स्वछंद उड़ान,
...........बावली सी चाह बैठी मैं -
प्रकृति के अनगिनत रहस्मय रंगों को...

मसीहे ने मुस्कुरा कर कहा-
अरी बावली- न हो तू विकल,
ले, तेरी गोद में डालता हूँ दो लाल,
जिसे पा तू हो जाएगी निहाल....

जन्म दिन की असीम शुभकामनायें ......!      

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