"In the Whirlpool of forbidden and unforbidden thoughts....
When I try to shut them out....
They envelope me thick like Winter's fog."
I am not a writer.....I simply pour my heart out here in these pages
Sunday, 28 December 2014
प्रतीक्षा विहीन शामों से कहीं ज्यादा तकलीफदेह इंतज़ार भरी शाम हुआ करती है क्योंकि इंतज़ार धीरे धीरे शाम से रात में बदल जाती है जो उम्र सी लम्बी हो जाती है फिर मुरदे सी पथरा जाती है।
इन्तजार भरी रात का ऐसा दारूण मानवीकरण,वाकई रोंगटे खड़ा कर देने वाला है।
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