Tuesday, 25 December 2012

मोमबतियां जला लो


जला लो, जला लो 
और जला लो 
आज और
मोमबतियां जला लो
गूंगी जुबां औ
लकवे भरे इन हाथों से
दम तोडती
इंसानियत पे
एक और मोमबत्ती
जला लो। 

सुंदर दिखती हैं 
मोम्बतियों की
ये जगमगाती पंक्तियाँ 
पर तले सिमटे
उस अँधेरे को 
मत भूलना
बुझने से पहले 
उसे भी जला दो
खुद भी पिधल जाओ
पिघल, पिघल बह जाओ
उस सिमटे अँधेरे को भी
पिघला, बहा ले जाओ।





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