मोमबतियां जला लो
जला लो, जला लो
और जला लो
आज और
मोमबतियां जला लो
गूंगी जुबां औ
लकवे भरे इन हाथों से
दम तोडती
इंसानियत पे
एक और मोमबत्ती
जला लो।
मोमबतियां जला लो
गूंगी जुबां औ
लकवे भरे इन हाथों से
दम तोडती
इंसानियत पे
एक और मोमबत्ती
जला लो।
सुंदर दिखती हैं
मोम्बतियों की
ये जगमगाती पंक्तियाँ
ये जगमगाती पंक्तियाँ
पर तले सिमटे
उस अँधेरे को
उस अँधेरे को
मत भूलना
बुझने से पहले
बुझने से पहले
उसे भी जला दो
खुद भी पिधल जाओ
पिघल, पिघल बह जाओ
उस सिमटे अँधेरे को भी
पिघला, बहा ले जाओ।
खुद भी पिधल जाओ
पिघल, पिघल बह जाओ
उस सिमटे अँधेरे को भी
पिघला, बहा ले जाओ।
No comments:
Post a Comment