सपने नहीं बन सकते अपने
आँखे खोलने को जी नहीं करता ,
कल रात देखा था इन्होने इक सपना.
ऑंखें खोलूं ....डर गयी मैं
कहीं ये उड़ न जाये
पर, तत्क्षण ही उड़ चली मैं
स्वप्न की डोर थामे
नीले अम्बर को छू लेने
और स्वप्न को हकीकत में जी लेने.
पर,
तुम तो मेरे नहीं हो सपने
फिर भी पता नहीं क्यों हो इतने अपने
जो प्रेम की तपस है फलदायी
तो मिलन की हुलस है सुखदायी
पर विरह की झुलस है बड़ी कष्टदायी
फिर भी निस दिन नित नवीन विचार
करता ह्रदय में मधुर भावों का संचार
आँखे खोलने को जी नहीं करता ,
कल रात देखा था इन्होने इक सपना.
ऑंखें खोलूं ....डर गयी मैं
कहीं ये उड़ न जाये
पर, तत्क्षण ही उड़ चली मैं
स्वप्न की डोर थामे
नीले अम्बर को छू लेने
और स्वप्न को हकीकत में जी लेने.
पर,
तुम तो मेरे नहीं हो सपने
फिर भी पता नहीं क्यों हो इतने अपने
जो प्रेम की तपस है फलदायी
तो मिलन की हुलस है सुखदायी
पर विरह की झुलस है बड़ी कष्टदायी
फिर भी निस दिन नित नवीन विचार
करता ह्रदय में मधुर भावों का संचार